एक समय की बात है एक जंगल में एक तपस्वी संत रहा करते थे। लोग कहते थे कि वे वर्शो से तपस्या कर रहे है। वे नदी किनारे एक बड़ी चट्टान पर अपना आसन बनाकर ध्यान में मग्न हो जाते है। बिना कुछ खाय पिए और हिले डुले तप में लीन रहते है।
इतने सालो की घोर तपस्या कर वे असीम शक्तियां प्राप्त कर चुके है। एक दिन संत महाराज अपनी तपस्या में मग्न थे। इसी दौरान उसकी चटृटान के नीचे बिल में रह रहे एक छोटे चूहे को एक बिल्ली ने देख लिया। बिल्ली घात लगाकर बैठी थी, जैसे ही चूहा बिल से बाहर निकला बिल्ली उस पर झपट पड़ी, लेकिन चूहा बच निकला। बिल्ली चूहे के पीछे पड़ गई।
अपनी जान बचाने के लिए चूहा चट्टान पर आसन लगाए संत की ओर दौड़कर उसकी गोद में जाकर छिप गया। संत महात्मा अपनी तपस्या कर आंखे खोली और देखा कि एक चूहा उसकी गोद में डर से कांप रहा था। कुछ दूरी पर उन्होंने बिल्ली को देखा, जो चूहे की ओर देख रही थी। उन्हंे सारी बातें समझ में आ गईं।
चूहा और संत की कहानी
संत को चूहे पर दया आ गई। उन्होंने कुछ मत्र पढ़ कर चूहे की ओर फूक मार दी। चूहा झट से एक बिल्ला में बदल गया। संत ने कहा अब तुम्हें बिल्ली से डरने की जरूरत नहीं है। बिल्ला बना चूहा बिल्ली को देखकर गुर्राया जिसे देख बिल्ली डर से भाग निकली।
बिल्ला निडर होकर नदी के आसपास घुमने लगा। वहीं दूसरे दिन बिल्ला नदी के पास मछलियों का शिकार करने की फिराक में था। तभी नदी में पानी पीने के लिए एक जंगली कुत्ता आ पहुंचा। कुत्ते ने बिल्ले को देख उसके पीछे पड़ गया। कुत्ते को झपटता देख बिल्ला डर से वहां से भागा। कुत्ता उसके पीछे लग गया ।
बिल्ले ने कुत्ते को काफी चकमा देने की कोशिश की पर कुत्ता उसके पीछे लगा ही रहा। बिल्ला ने अपनी लंबी कूद लगाकर चट्टान की ओर दौड़ पड़ा और संत के सामने जाकर म्याऊं-म्याऊं करके गीड़गिड़ाने लगा। महात्मा ने कुत्ते को भौंकते देख वह सब समझ गया और उसने मंत्र पढ़कर बिल्ले पर फूंक मारी। कुछ ही देर में बिल्ला भी बड़ा सा कुत्ता बन गया। बड़े कुत्ते को देख जंगली कुत्ता अपनी जान बचाकर वहां से फरार हो गया।
चूहा बना शेर ने महात्मा को ही खाने की बनाई योजना
अब वह एक कुत्ता बनकर जंगल में घूमने लगा। उसे दूसरे कुत्तो का अब भय नहीं रहा। एक दिन अचानक फिर उसका सामना एक शेर से हो गया। यह देख कुत्ता बना चूहा उस बड़े से जीव को देख भयभीत हो गया। शेर की गरज से कुत्ते के रोंगटे खड़े हो गए। षेर की दहाड़ से कुत्ता थर थर कांपने लगा और वह चट्टान की ओर भागने लगा। फिर वह संत महात्मा के आगे जाकर डर से कांप रहा था। तभी शेर की दहाड़ से जंगल गूँज उठा।
साधु ने चूहे को हमेषा के लिए सभी भय से मुक्ति के लिए उसपर मंत्र पढ़कर शेर बना दिया। अब चूहा शेर बनकर जंगल में बिना डर भय के घुमने लगा। मंत्र के बल पर शेर बने चूहे को असली शेर की तरह शिकार करना नहीं आता था। कुछ ही दिनों में शेर भूखा मरने लगा। वह एक खरगोश का भी शिकार नहीं कर पा रहा था।
एक दिन चूहा बना शेर ने भूख में अपने आप को तड़पता देख महात्मा को ही खाने की योजना बना ली। शेर ने मन में सोचा कि संत का शिकार करना आसान है क्योंकि वे तो हिलते डुलते भी नहीं है। एक दिन जब महात्मा ध्यान में थे, तब शेर धीरे धीरे चट्टान के पास पहुंचा और तपस्या में लीन महात्मा की ओर छलांग लगा दी।
तपस्या से महात्मा को असीम शक्तियां प्राप्त हो चूकी थी उसने शेर की मंशा को समझ लिया था। उसने तुरंत ही अपनी आंख खोली और मंत्र फूंक दिया वैसे ही हवा में छलांग मारा शेर दोबारे से चूहा बनकर नीचे गिर पड़ा।
कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि अयोग्य व्यक्ति को यदि शक्ति दे दी जाए तो वह उसका सदुपयोग नहीं दुरुपयोग ही करता है।
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