काफी पुरानी बात है। एक जंगल में सिर्फ गधे ही गधे रहते थे। पूरी आजादी में रहते थे वह भरपेट खाते पीते और मौज मस्ती करते थे। गधों के लिए वह जंगल स्वर्ग की तरह था।
एक दिन एक लोमड़ी को मजाक सुझा। उसने मुंह लटका कर गधों से कहा मैं चिंता से मरी जा रही हूं और तुम इस तरह मौज कर रहे हो। पता नहीं कितना बड़ा संकट सर पर आ पहुंचा है। गधों ने उत्सुकता से पूछा भला लोमड़ी मौसी क्या हुआ बताओ तो।
गधों का सत्कार
लोमड़ी ने कहा मैं अपने कानों से सुनकर और आंखों से देखकर आ रही हूं कि जंगल की झील की मछलियों ने एक बड़ी सेना बना ली है और वह अब तुम्हारे ऊपर चढ़ाई करने वाली है। उनके सामने तुम्हारा ठहर पाना कैसे संभव होगा। इसलिए तुम्हारे लिए बहुत चिंतित हूं।
गधे असमंजस में पड़ गए। उन्होंने सोचा व्यर्थ जान गवाने से क्या लाभ है, चलो कहीं और चले। सारे गधे जंगल छोड़कर गांव की ओर चल पड़े। सबके दिमाग में एक ही बात चल रही थी कि इससे पहले की मछलियां हम पर हमला बोल दे जितना दूर हो सके निकाल लेने में ही भलाई है।
जंगल छोड़ सारे गधे वहां से भाग खड़े हुए
वह सब लोमड़ी को शुक्रिया भी कह रहे थे कि अगर उसने ना बताया होता तो हमारा बचना मुश्किल होता। जब सारे गधे गांव की तरफ पहुंचने लगे तो सबसे पहले धोबियों की नजर उन पर पड़ गई। इस प्रकार घबराए हुए गधों को देखकर गांव के धोबी ने उसकी खूब सेवा सत्कार किया।
गधो ने अपनी पूरी आपबीती धोबियों को सुनाई। धोबियों ने अपने घर में गधों को रहने के लिए जगह दी और गले में रस्सी डालकर खूंटे से बांध दिया और कहा डरने की जरूरत नहीं है उन दुष्ट मछलियों से मैं निपट लूंगा। तुम मेरे घर में बिना डरे रहो बस मेरा कपड़ों का बोझ ढोह देना। गधे की घबराहट तो दूर हुई पर अपनी मूर्खता की कीमत उन्हें चुकानी पड़ गई।
कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बिना सोचे समझे हमें किसी बात पर भरोसा नहीं करना चाहिए, उसके बारे में एक बार जरुर जान लेने की बात सही है या गलत।
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