घोड़े के बदले की कहानी । New Moral Story in Hindi

ghode ki badle ki kahani

एक समय की बात है एक घने जंगल में पहाड़ पर स्थित एक मनमोहक हरी घास को मैदान था, जहां एक घोड़ा और एक भैंस रहा करता था। इस स्थान पर भोजन-पानी की कोई दिक्कत नहीं थी। घने जंगलो और पहाड़ो के बीच प्रकृति की गोद में बसा यह घास का मैदान घोड़ा और भैंस अच्छे दोस्त बन चूके थे।

दोनो वहां पर हरी हरी घास खाते और पहाड़ो से गिरती झरने का मीठा पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते। दोनो साथ-साथ रहते, खाते पीते और मजे करते। एक वर्श अचानक बारिश नहीं होने के कारण घास का मैदान सूखने लगा। तेज धूप व चल रही गर्म हवाओं के कारण हरी घास झुलसने लगे। पड़ रही गर्मी के कारण पानी भी सुखने लगे थे।

भैंस व घोड़ा पानी और घास के लिए लड़ने लगे। रोज – रोज की लड़ाई विकराल होता चला गया और एक दिन दोनो ने आपस में मारपीट कर ली। घोड़े ने अपनी मजबूत टांगो से भैंस को लात मारी, वहीं भैंस ने भी अपने भारी भरकम षरीर से घोड़े को टक्कर मार दी। लड़ाई का सिलसिला काफी देर तक चलता रहा। अंत में भैंस ने अपने धारदार सींगो से घोड़े को मार कर घायल कर दिया और वह पूरी तरह घायल हो गया। तेज दर्द से वह तड़प रहा था।

घोड़े के बदले की कहानी

घोड़ा ने एक दिन उस जगह को छोड़ दिया। कुछ दिन बीत गए। घोड़ा अपनी चोटों से उबरने लगा था। उसे काफी अच्छा लग रहा था। उसे भैंस पर बहुत गुस्सा भी आ रहा था। वह भूल नहीं पा रहा था कि कैसे कभी उसके पक्के दोस्त भैंस ने उसे इतनी बुरी तरह चोट पहुंचाई थी।

वह अपना बदला लेने की योजना बनाने लगा। उसने सोचा और सोचा और अंत में एक निष्कर्ष पर पहुंचा। उसने मदद के लिए एक आदमी के पास जाने का फैसला किया और वह एक व्यक्ति से मिलकर अपनी आपबीती सुनाते हुए मदद करने का आग्रह किया।

उस व्यक्ति ने उससे कहा कि तुम और भैंस आपस में लड़े और तुम हार गए। तो क्या मैं भैंस से जीत पाउंगा वह मुझे भी अपने सींग से मार देगी। मैं तुम्हारा मदद नहीं कर सकता। मुझे मरना नहीं है रे बाबा, अब मेरा रास्ता छोडो और मुझे जाने दो। यह कहकर व्यक्ति वहां से जाने लगा।

आदमी ने घोड़े की मदद

घोड़ा उदास होकर दोबारा से उस व्यक्ति से विनती की यदि आप मेरी मदद करते हैं, तो मैं आपको उस शक्तिशाली भैंस को पकड़ने में मदद करूंगा। फिर आप उसे रख सकते हैं और मैं घास के मैदान में अकेला रह पााऊंगा। व्यक्ति इस प्रस्ताव पर रुक कर सोचने लगा और मुस्कुराते हुए कहा कि मैं उस भैंस का क्या करूंगा वह मेरे किसी काम का नहीं होगा।

घोड़े ने उसे समझाते हुए कहा कि भैंस का दूध से आपको काफी लाभ मिलेगा। आप उसे पीकर अपने षरीर को मजबूत बना सकते हो और उसके दूध को बाजार में बेंच कर मुनाफा भी कमा सकते हो। उसकी बात को सुनकर व्यक्ति प्रसन्न हो गया और घोड़े की मदद करने के लिए तैयार हो गया।

उसे सिर्फ भैंस के सींगों की चिंता थी। घोड़े ने एक योजना बनाई। उन्होंने अगली सुबह योजना को अंजाम देने का फैसला किया। वह व्यक्ति अपने हाथ में एक बड़ी और मोटा डंडा लेकर घोड़े की पीठ पर चढ़ गया।

बदले की भावना से घोड़ा को सिर्फ पछतावा मिला

घोड़ा घास का मैदान पहुंचा जहां उसे भैंस दिखाई दी। घोड़ा भैंस के पीछे से भागने लगा और उस व्यक्ति ने उसे डंडे से मारा। योजना काम कर रही थी। डंडे के जोरदार मार से भैंस जमीन पर गिर पड़ा। व्यक्ति ने उसे पकड़ लिया और उसे रस्सी से अपनी झोपड़ी के समीप एक पेड़ से बांध दिया।

अपनी जीत पर घोड़ा काफी खुश था। उसने न केवल अपना बदला लिया था, लेकिन घास के मैदान का अकेला मालिक भी बन चूका था। घोड़े ने उस व्यक्ति के प्रति आभार प्रकट किया और वह जाने वाला ही था कि वह भी अपने आप को पेड़ से बंधा हुआ पाया है।

घोड़ा हैरान हो गया और उस व्यक्ति से कहा कि मित्र अब जब तुम्हारा काम पूरा हो गया है, तो तुम मुझे छोड़ दो। मैं हरी घास का आनंद लूंगा और तुम भैंस के दूध का आनंद लो उससे मुनाफा कमाओ। व्यक्ति ने जवाब दिया कि दोस्त तुम बहुत ही समझदार हो। तुमने मुझे भैंस पकड़ना और घोड़ों की सवारी करना सिखाया।

अब मुझे पता चल गया है कि तुम दोनो मेरे लिए उपयोगी हो। मैं दोनों में से किसी को भी नहीं छोडूंगा। मैं तुमलोगो का अच्छा से देखभाल करूंगा।

उसकी बात को सुनकर घोड़ा उदास हो गया और अपने आप को ठगा महसूस करने लगा और सोचने लगा कि मैने खूद उस आदमी को भैंस का दूध का लालच देकर अपने अच्छे मित्र को फंसा दिया और खूद भी फंस गया। उसने आज के बाद कभी भी किसी को धोखा नहीं देगा और न किसी को धोखा देने के लिए प्रेरित करेगा।

कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि जब भी कोई बदला लेने की चाहत रखता है उससे उसे बुरा परिणाम ही मिलता है। इसलिए कभी भी मन में बदले की भावना नहीं रखना चाहिए, भविश्य में आपके साथ भी बुरा हो सकता है।

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