एक बार की बात है। एक गांव के समीप एक सुंदर झील था। झील के किनारे एक पेड़ था, जिसपर एक बगुला अपने परिवार के साथ हंसी खुषी रहता था। एक बार बगुला अपने बच्चो को एक सीख देने वाला था।
बगुला और उसके बच्चों की कहानी
एक दिन सुबह में बगुला अपने बच्चो से कहा कि मैं आज तुम्हे एक महत्वपूर्ण सीख देता हूं जिसका नाम है सहायता। बगुला ने अपने बच्चो से कहा कि देखे इस झील से हमसभी सहयोग कर मछली कैसे पकड़ते है।
हम एक जुट होकर अधिक मछली पकड़ सकते है जिससे कि हमारे परिवार के सभी सदस्यो को भर पेट भोजन मिल सके।
बगुला के बच्चो ने सीखी सहयोग की परिभाशा, एक साथ मिलकर पकड़ी कई मछलियां
सहायता की परिभाषा को सीख कर बच्चे खुश हुए और उन्होंने अपने जीवन में इसे दुहराने की बात कही। एक दिन सभी बगुला के बच्चे अपने माता पिता के साथ मछली पकड़ने में सहयोग किया और उस दिन दूसरे दिनो की अपेक्षा अधिक मछलियां पकड़ा।
धीरे-धीरे बगुला के बच्चे मछलियां पकड़ने के तरीके सीख गए। कुछ समय बाद वे खूद से सभी बच्चे मछलियां पकड़ लाते। कुछ दिनो बाद बगुला के बच्चे मछलियां पकड़ने में निपुन हो गए।
कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि हम कोई भी काम को सहयोग व मिलकर करे तो वह काम तुरंत और सही तरीके से होता है। अकेले के अपेक्षा सहयोग में ही अधिक शक्ति है और हम साथ मिलकर अपने जीवन को सुखमय बना सकते है।
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