काफी पुरानी बात है राजा अकबर के महल में सजावट के लिए कई कीमती वस्तुएं थी। इन्हीं में से एक गुलदस्ते से उन्हें काफी लगाव था और अकबर उस गुलदस्ते को हमेशा अपने कमरे में सजाकर रखता था। एक दिन राजा के कमरे की सफाई के दौरान वह गुलदस्ता टूट गया।
उसके सेवक टुटे गुलदस्ते को देख जोड़ने की काफी कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं रहा। थक हार कर सेवक ने टूटे गुलदस्ते को कूड़ेदान में फेंक दिया और प्रार्थना करने लगा कि राजा को इस बारे में कुछ पता न चले।
सोने का खेत : क्रोध में आकर अकबर ने सेवक को सुनाई फांसी की सजा
राजा अकबर कुछ समय बाद अपने महल लौटे तो देखा कि उनका चहेता गुलदस्ता अपनी जगह पर नहीं है। राजा ने सेवक से उस गुलदस्ते के बारे में पूछा। सेवक भयभीत हो गया और उसने जल्दी में कहा कि महाराज उस गुलदस्ते को मैं अपने घर ले गया हूं, ताकि अच्छे से साफ कर सकूं।
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यह सुनते ही अकबर बोले मुझे तुरंत वह गुलदस्ता लाकर दो। सेवक के पास अब बचने का कोई रास्ता सुझ नहीं रहा था। सेवक ने राजा को सब सच बता दिया। उसकी बात सुनकर राजा आग बबूला हो गया। क्रोध में आकर अकबर ने उस सेवक को फांसी की सजा सुना दी। राजा ने सेवक से कहा कि तुम्हे झूठ नहीं बोलना चाहिए था।
सोने का खेत : दरबार में बीरबल पर भड़क पड़े अकबर
अगले दिन दरबार में इस घटना के बारे में चर्चा हुई तो वहां उपस्थित बीरबल ने इस बात का विरोध किया। बीरबल ने कहा महाराज हर व्यक्ति कभी न कभी झूठ बोल ही देता है। किसी के झूठ बोलने पर अगर किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा तो उस झूठ को माफ कर देना चाहिए।
बीरबल के मुंह से ऐसे शब्द सुनकर अकबर उसी समय बीरबल पर भड़क उठे। उन्होंने सभा में लोगों से पूछा कि कोई ऐसा है यहां जिसने झूठ बोला हो। सबने राजा को कहा कि नहीं हमलोग झूठ नहीं बोलते। इस बात सुनते ही अकबर ने बीरबल को राज्य से निकाल दिया।
वहां से निकलने के बाद बीरबल ने ठान ही लिया कि वह इस बात को साबित करके रहेंगे कि हर व्यक्ति अपने जीवन में कभी न कभी झूठ बोलता ही है। बीरबल के दिमाग में एक बात सुझी। जिसके बाद वह एक सुनार के पास गया। उसने जौहरी से सोने की गेहूं जैसी दिखने वाली बाली बनवाई और उसे लेकर महाराज अकबर की सभा में पहुंच गया।
बीरबल ने एक तरकीब निकाल सबको ठहराया गलत
अकबर ने बीरबल को सभा में देखा उससे पूछा कि तुम यहां क्या कर रहे हो। बीरबल ने कहा हुजुर आज ऐसा चमत्कार होगा कि जिसने कभी नहीं देखा होगा। बस आपको मेरी पूरी बात सुननी होगी। राजा ने बीरबल को अपनी बात कहने का आदेष दिया।
बीरबल ने कहा महाराज आज मुझे रास्ते में एक सिद्ध पुरुष के दर्शन हुए। उसने मुझे सोने से बनी गेहूं की बाली देने हुए कहा कि इसे जिस भी खेत में लगाओग वहां पर सोने की फसल उगेगी।
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इसे लगाने के लिए मुझे आपके राज्य में थोड़ी सी जमीन चाहिए। अकबर ने कहा चलो हम तुम्हें जमीन दिला देते हैं। अब बीरबल कहने लगे कि मैं चाहता हूं कि पूरा राज दरबार यह चमत्कार देखे। बीरबल की बात मानते हुए पूरा राज दरबार खेत की ओर चल पड़ा।
खेत पहुंचकर बीरबल ने कहा कि इस सोने से बनी गेहूं की बाली से फसल तभी उगेगी, जब कोई ऐसा व्यक्ति इसे लगाए जिसने जीवन में कभी भी झूठ न बोला हो। बीरबल की बात सुनकर सभी राज दरबारी चुप हो गए और कोई भी गेहूं की बाली लगाने के लिए तैयार नहीं हुआ।
खेत में पहुंचकर बीरबल ने कहा कि इस सोने से बनी गेहूं की बाली से फसल तभी उगेगी, जब इसे ऐसा व्यक्ति लगाए, जिसने जीवन में कभी झूठ न बोला हो। बीरबल की बात सुनकर सभी राजदरबारी खामोश हो गए और कोई भी गेहूं की बाली लगाने के लिए तैयार नहीं हुआ।
कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि बिना सोच विचार किए किसी को बड़ा दंड नहीं देना चाहिए। हर काम को सोच-विचार कर ही करना चाहिए। एक छोटे से झूठ की वजह से किसी व्यक्ति का आंकलन नहीं करना चाहिए। सभी के जीवन में कुछ ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती है जिसमें उसे झूठ बोलना मजबूरी हो जाता है।
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