बरसो पुरानी बात है बीरबल नाम का एक बुद्धिमान मंत्री अकबर के दरबार में काम करता था। उनकी बुद्धिमत्ता और विवेकशीलता के लिए वह जाना जाता था। अकबर ने एक दिन एक चुनौती दी।
उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में कहा कि मुझे एक ऐसा व्यक्ति चाहिए जो मेरे कार्य और सुख दुख में साथ रहे। दरबार में उपस्थित सभी मंत्री सोचने में लग गए। पर किसी ने इस चुनौती का कोई सही उत्तर नहीं दे पा रहा था।
बीरबल की खोज : बीरबल ने अकबर की चुनौती को किया स्वीकार
तब बीरबल ने कहा हुजुर मैं आपके साथ रहने के लिए तैयार हूं। राजा अकबर हैरान होकर पूछा, बीरबल क्या तुम इस चुनौती को स्वीकार कर रहे हो? बीरबल मुस्कुराए और कहा कि जी हां हुजुर मैं सब कुछ स्वीकार करता हूं। मैं आपके साथ साथ हर समय रहूंगा। मैं आपके हर कार्य में सहयोग करूंगा।
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महाराज मैं आपके सुख दुख मैं आपके साथ रहूंगा। बात को सुनकर अकबर प्रसन्न हो गया और बीरबल को चुनौती का सफलता प्राप्त हुआ। उन्होंने सिखाया कि विवेकपूर्ण निर्णय और साहस हमें हर परिस्थिति का सामना करने में सहायता करते हैं।
कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमें यह सीख मिलता है कि हमें जीवन के हर मोड़ पर अपने निर्णयों के लिए बुद्धिमत्ता और साहस दिखाने की जरूरत है। जीवन के सभी चुनौतियों का सम्मान करना चाहिए और उन्हें विवेकपूर्णता से पार करने की क्षमता ही सफलता की ओर ले जाती है।
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