एक समय की बात है। एक गांव में अर्जुन नाम का एक कुम्हार रहता था। दिनभर वह मिट्टी के बर्तन बनाता था और उसे बेच कर जो पैसे कमाता था उससे शाम में शराब पीकर उड़ा दिया करता था। एक रात वह शराब के नशे में अपने घर लौट रहा था। वह इतना नषे में था कि अचानक उसका पैर लड़खड़ाया और वह जमीन पर गिर पड़ा।
जमीन पर गिरे कांच के टुकड़े से वह घायल हो गया। उसके माथे से खून बह रहा था। वह किसी तरह अपने घर पहुंचा। अगले दिन जब उसे होश आया तो वह एक हकीम के पास गया और मरहम पट्टी कराई। वैद्य ने कहा घाव गहरा होने के कारण इसे भरने में समय लगेगा। पर भर जाने के बाद घाव का निशान रह जाएगा।
कुम्हार की कहानी : माथे पर निशान देख राजा कुम्हार को समझ बैठा पराक्रमी योद्धा
कुछ समय बाद अचानक उस गांव में सूखा पड़ गया। सभी लोग गांव छोड़ कर जाने लगे। कुम्हार ने भी गांव छोड़ कर जाने लगा और दूसरे राज्य की ओर निकल गया। वह एक नया राज्य पहुंचा। उसने वहां के राजा के दरबार में जाकर नौकरी मांगा।
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वहां के राजा ने उसके माथे पर चोट के निशान देख कर सोचा कि यह आदमी कोई पराक्रमी योद्धा प्रतीत होता है। दुश्मनो से लड़ते वक्त उसके माथे पर चोट लगी होगी। राजा ने कुम्हार को अपने दरबार में एक अच्छी पद पर नियुक्त कर दिया और उसपर विषेश ध्यान देने लगे। यह देख दरबार में उपस्थित राजकुमार, सेनापति और अन्य मंत्री उससे जलने लगे।
राजा को पता चल गई कुम्हार की असलियत
कुछ समय गुजर गया। एक दिन शत्रुओं ने राजा के महल पर हमला कर दिया। राजा ने अपनी पूरी सेना को युद्ध के लिए तैयार किया। उसने अर्जुन को भी युद्ध में जाने की बात कही। अर्जुन जब युद्ध भूमि की ओर जा रहा था तो राजा ने उससे पूछा कि उसके माथे पर यह चोट किस युद्ध में लगी। कुम्हार ने सोचा कि अब वह राजा का भरोसा जीत चुका है और अब अगर वह राजा को सच बता देगा तो कोई समस्या नहीं होगी।
उसने राजा से कहा कि महाराज मैं कोई योद्धा नहीं हूं। मैं तो एक साधारण सा कुम्हार हूं। यह चोट मुझे किसी युद्ध में नहीं, बल्कि शराब पीकर गिरने के कारण लगी थी। कुम्हार की बात सुनकर राजा को बहुत गुस्सा आया। राजा ने कहा तुमने मेरा विश्वास तोड़ा है और मुझसे छल कर दरबार में इतना ऊंचा पद पाया है। निकल जाओ मेरे राज्य से। कुम्हार ने राजा से माफी मांगी, उसने राजा से कहा कि महाराज मुझे आप एक मौका दीजिए मैं युद्ध में आपके लिए प्राण भी दे सकता है।
राजा ने कहा कि तुम कितने भी वीर और पराक्रमी हो, लेकिन तुम शूरवीरों के कुल से नहीं हो। मैं तुम्हे जाने दे रहा हूं। अगर राजकुमारों को तुम्हारा राज पता चल गया, तो वो तुम्हें मार डालेंगे। अपनी जान बचाओ और भाग जाओ। कुम्हार ने राजा की बात मानी और उस राज्य को छोड़ कर चला गया।
कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि इंसान की असलियत ज्यादा दिन तक छुप नहीं सकती। वह जितना भी छुपाना चाहे पर एक न एक दिन राज सब के सामने आ ही जाता है।
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