अंधा आदमी और लालटेन (Blind Man And Lantern)

andha aadmi aur lalten

दुनिया में विभिन्न प्रकार के लोग रहते है। कुछ ऐसे लोग होते है जो स्वयं की कमजोरियों को तो नज़रंदाज़ कर जाते हैं और कुछ ऐसे होते है जो दूसरों की कमजोरियों पर उपहास करने के लिए सदा तैयार रहते है। हम आपको एक अंधे व्यक्ति की कहानी सुनाने जा रहे है, जिससे कुछ सीखने को मिलेगी। एक समय की बात है।

एक गांव में भीम नाम एक अंधा व्यक्ति रहा करता था। वह बहुत ही गरीब था। वहां ईमानदार और समझदार था। भीम रात में जब भी बाहर जाता एक जली हुई लालटेन हमेशा अपने साथ रखता था। एक रात को वह अपने दोस्त के घर से भोजन करने गया हुआ था। उसके दोस्त ने उसका बहुत सेवा सत्कार किया और बढ़िया बढ़िया व्यंजन बनाकर उसे खिलाया।

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भोजन करने के बाद अंधा व्यक्ति अपने घर वापस आ रहा था। तब हमेशा की तरह उसके हाथ में एक जली हुई लालटेन थी। रास्ते में कुछ दूरी पर कुछ शरारती लड़कों ने जब उसके हाथ में लालटेन देखी तो उस पर हंसने लगे और कहने लगे कि अरे देखो-देखो अंधा लालटेन लेकर जा रहा है। अंधे को लालटेन की क्या जरूरत है।

अंधा आदमी और लालटेन : अंधे व्यक्ति की बात सुन लड़के हुए शर्मसार

शरारती लड़को की बातो को सुनकर अंधा व्यक्ति मायूस हो गया और नम्रतापूर्वक कहा सही कहते हो भाईयों मैं तो अंधा हूं देख नहीं सकता। मेरे जीवन सदा से अंधेरे में रहा है। मुझे लालटेन की क्या जरूरत। मेरी आदत तो अंधेरे में ही जीने की है, लेकिन आप जैसे आँखों वाले लोगों को तो अंधेरे में जीने की आदत नहीं होती है न।

आप लोगों को अंधेरे में देखने में बाधा हो सकती है। कहीं आप जैसे लोग मुझे अंधेरे में देख ना पायें और धक्का दे देंगे तो मुझ जैसे बेचारे का क्या होगा। इसलिए मैं ये लालटेन अपने पर रखता हूं कि आप जैसे लोगो को इससे साफ दिखाई पड़े और मेरे जैसे अंधे व्यक्ति को कोई नुकसान न हो।

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अंधे व्यक्ति की बात सुनकर सारे लड़को का सिर शर्म से झूक गया। उसने उस व्यक्ति से क्षमा मांगी और प्रण किया कि भविष्य में बिना सोचे-समझे किसी से कुछ नहीं कहेंगे। सारे लड़को ने उस अंधे व्यक्ति को सही सलामत हाथ पकड़ कर उसके घर तक छोड़ दिया और जाते जाते दोबारा उससे कहा कि काका मुझे माफ कर देना और चला गया।

कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि हमे कभी किसी को नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। हमे कुछ भी कहने के पहले एक बार अच्छी तरह सोच विचार कर लेनी चाहिए कि कहीं को मेरी बातो से दुख तो नहीं पहुंच रहा है ना।

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