बहुत पुरानी बात है। एक गुरु अपने कुछ चेलो के साथ तपस्या करने हिमालय की ओर जा रहे थे। जब रास्ते में वे लोग थक गए तो वह कुछ दूर एक नगर में विश्राम करने के लिए रुक जाते है। सभी लोगो को जोरो से भूख भी लग रही थी। थोड़ी ही देर में चेला बदहवास हालत में दौड़ते हुए वापस आया।
उसने कहा गुरु जी यह नगर तो बड़ा ही अजीब है। यहाँ तो चारों ओर सन्नाटा है। जब मैने पूछा तो एक आदमी ने बताया कि यहाँ लोग दिन में सोते हैं और रात को काम करते हैं क्योंकि नगर के राजा की यही आदेष है। उस नगर में एक चौपट राजा रहा करते थे और वह नगरी अंधेर नगरी थी। जहां कोई नियम कानून नहीं थे।
अंधेर नगरी चौपट राजा
गुरु ने कुछ देर सोचा और कहा हमें यहाँ एक क्षण भी नहीं रुकना चाहिए। यह मूर्खों की नगरी है। कल प्रातः ही हम लोग यहाँ से चले जाएंगे। कुछ देर बाद रात हो गई और नगर में चहल-पहल शुरू हो गई। गुरु के साथ चेले भी नगर घूमने निकल पड़े। गुरू चेले ने यह देख हैरान हो गया कि वहां पर सभी कुछ एक टके में मिलता है। सोने का कंगन भी एक टके में और खाने पीने के समान भी एक टके में ही मिल रहा था।
एक चेला यह देखकर खुशी से भर उठा। उसने गुरु के आदेश की अवहेलना कर उसी नगर में रहने का निश्चय किया। वहीं नगर में चौपट राजा रहते थे। उन्हीं दिनों नगर के राजा ने एक चोर को फाँसी की सजा सुनाई । जल्लाद ने देखा कि फाँसी का फंदा तो बड़ा बन गया है और चोर की गर्दन पतली है। जब यह बात राजा को पता चली तो राजा ने आदेश दिया कि चोर को छोड़ दिया जाए और जिस व्यक्ति की गर्दन फंदे से सटिक बैठे उसे ही पकड़कर लाया जाए।
गुरू की समझदारी से फांसी पर लटकने से बच गया चेला
राजा के सभी सैनिक मोटे आदमी की तलाश में निकल पड़े। ढूँढ़ते-ढूँढ़ते संयोगवष गुरू का एक चेला सामने आ गया, जो गांव में ही रहने का मन बनाया था। सैनिक उसे ही पकड़ लेकर वापस लौट आए। चेले ने सैकड़ो बार सैनिक को बताया कि मैंने कोई अपराध नहीं किया है पर उसकी एक न सुनी गई। कुछ समय बाद जब गुरु को यह सूचना मिली तो वे दौड़े दौड़े वहां पहुंचे।
गुरु ने राजा से कहा कि इस समय बहुत शुभ मुहूर्त है, जो भी फाँसी पर चढ़ेगा वह अगले जन्म में पूरी धरती का राजा बनेगा। यह सुनकर सभी फाँसी पर चढ़ने के लिए उतारू हो गए। राजा ने भारी आवाज में कहा कि यदि इस मुहूर्त में ऐसा ही होगा तो सबसे पहले राजा का अधिकार है। यह कहकर राजा तुरंत फाँसी पर चढ़ गए, जिससे उनकी मौत हो गई । वहीं गुरु ने अपनी समझदारी से अपने चेले की जान बचा ली। चेले ने गुरु के चरणों में गिरकर उनसे क्षमा मांगी।
कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि हमारे अंदर के डर को हमें निर्वार करना होता है। हमें खुद पर विश्वास रखना चाहिए, हमें डर से कभी नहीं भागना चाहिए। अंधकार को पार करके ही हम सच्ची सुख और समृद्धि पा सकते हैं।
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