बोलती गुफा की कहानी (Talking Cave)

bolti gufa ki kahani

एक समय की बात है, एक घने जंगल में एक भूखा शेर शिकार की तलाश मैं इधर-उधर भटक रहा था। घूमते घूमते वह थक चुका था, उसकी भूख भी बढ़ती जा रही थी। अचानक उसे एक गुफा नजर आया। शेर ने सोचा कि इस गुफा में जरूर कोई जानवर रहता होगा अच्छा हो मैं इस झाड़ी में छिप जाऊं और जब वह निकलेगा मैं उसे धर दबोच कर खा जाऊंगा।

बोलती गुफा की कहानी

शेर ने काफी देर तक गुफा के बाहर इंतजार करता रहा। मगर कोई भी जानवर वहां से बाहर नहीं आया। तब शेर ने सोचा कि लगता है कि वह जानवर इस वक्त गुफा में नहीं होगा कहीं बाहर गया होगा, इसलिए उसका गुफा के अंदर जाकर उसका इंतजार करना चाहिए।

जैसे ही वह गुफा के अंदर आएगा उसे खाकर मैं अपनी भूख मिटा लूंगा। ऐसा सोचकर शेर गुफा के अंदर जाकर छिप गया। इस गुफा में एक गीदड़ रहता था। थोड़ी देर बाद वह वापस आया तो उसे गुफा के बाहर किसी के पैरों के निशान दिखाई पड़े। उसे यह निशान किसी बड़े एवं खतरनाक जानवर के प्रतीत हो रहे थे। उसे किसी खतरे का एहसास हुआ।

गीदड़ अपनी चालाकी से शेर से बचाई जान

गीदड़ बहुत चालक और समझदार था। उसने सोचा की गुफा में जाने से पहले देख ले की मामला क्या है। उसने जोर से गुफा को आवाज़ लगाई गुफा वो गुफा, लेकिन जवाब कौन देता। गीदड़ ने फिर आवाज लगाई अरे मेरी गुफा तू जवाब क्यों नहीं देती है, आज तुझे क्या हो गया।

हमेशा मेरे लौटने पर तू मेरा स्वागत करती है, आज क्या हो गया है। अगर तूने जवाब नहीं दिया तो मैं किसी दूसरे गुफा में चला जाऊंगा। गीदड़ की बात सुनकर शेर ने सोचा कि गुफा तो बोलकर गीदड़ का स्वागत करती है आज मेरे यहां होने की वजह से शायद डर गई होगी।

अगर गीदड़ का स्वागत नहीं किया तो वह दूसरे जगह चला जाएगा। कुछ देर सोच विचार कर शेर अपनी भारी आवाज में जोर से बोला आओ आओ मेरे दोस्त तुम्हारा स्वागत है। शेर की आवाज सुनकर गीदड़ वहां से अपनी जान बचाकर भाग गया।

कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें डरने की बजाय सच को जानने का प्रयास करना चाहिए। अक्सर हम अफवाहों और गलत जानकारियों के चलते डरते हैं, जो हमारे जीवन को परेशान कर सकते हैं। हमें हमेशा सच को जानने की कोशिश करनी चाहिए।

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