एक समय की बात है एक घने जंगल में गिद्धों का एक झुण्ड रहता था। गिद्धो का पूरा झुण्ड एक साथ शिकार करने जाते थे। वे अपने भोजन के लिए काफी प्रयास करते थे। एक दिन सभी गिद्ध भोजन की तलाश में उड़ान भरते हुए किसी टापू पर पहुंच गए। जहां पर बहुत सारी मछलियां और मेढ़क रहा करते थे।
उन्हें वह टापू अच्छा लगा। उसके खाने-पीने और रहने की सारी सुविधाएं टापू पर मौजूद थी। सारे गिद्ध उसी टापू पर रहने लगें। अब गिद्धो को शिकार के लिए कहीं भी उड़ान भर कर जाना नहीं पड़ता था। सभी बिना किसी मेहनत के भरपेट भोजन करते और आराम से जीवन व्यतीत करते।
बूढ़े गिद्ध की सलाह : गिद्ध की झूंड ने बुढ़े गिद्ध की नहीं मानी सलाह
झुण्ड में एक बूढ़ा गिद्ध रहता था। बूढ़ा गिद्ध ये सब देख परेशान रहता था। उसे अपने साथियों की आलस देखकर चिंता होने लगी। वह सभी गिद्धों को कई बार समझाया कि मित्रों हमें फिर से शिकार के लिए उड़ान भरनी चाहिए ताकि हम अपने शिकार करने की कला को बनाए रख सकें।
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अगर ऐसे ही आलस करोगे तो एक दिन शिकार करना भूल जाओगे। इसलिए हमे पुराने जंगल में लौट जाना चाहिए। बूढ़े गिद्ध की बात सुनकर सभी गिद्ध हंस पड़े। सभी ने उसका मजाक बना दिया। सभी ने कहा कि इसका दिमाग खराब हो गया है। इसलिए हमे आरामदायक जीवन छोड़कर जाने की सलाह दे रहा हैं। गद्धों के झुंड ने उस टापू से जाने से मना कर दिया। जिसके बाद वह बूढ़ा गिद्ध अकेले ही जंगल में वापस में लौट गया।
टापू का दृश्य देख बुढ़ा गिद्ध हुआ हैरान
कुछ समय बाद बूढ़े गिद्ध ने सोचा काफी समय हो गया है चलो उस टापू से घूम कर आता हूं और सभी साथी से मिल भी लूंगा। बूढ़ा गिद्ध जैसे ही उस टापू पर पहुंचा वहां का हालात देख हैरान रह गया। वहां का दृश्य बहुत भयावह था। टापू पर सभी गिद्ध मर चूके थे। वहां पर सिर्फ उनकी लाशें पड़ी थी। वहीं पर एक किराने में एक घायल गिद्ध पीड़ा से व्याकुल था। बुढ़ा गिद्ध उसे देख वहां पहुंचा और यहां की हालत के बारे में जानकारी ली।
उसने बताया कि कुछ दिन पहले इस टापू पर सियारो का एक झूंड आया था। सियार के झूंड ने उनपर हमला कर सभी को मार दिया। हम लोग काफी समय से उंची उड़ान नहीं भरी थी इसलिए हम उड़ कर अपनी जान नहीं बचा सके। हमारे पंजों में उनसे मुकाबला करने की क्षमता भी कम हो गई थी। घायल गिद्ध की बात सुनकर बूढ़े गिद्ध को बहुत दुख हुआ। जिसके बाद बूढ़ा गिद्ध वापस अपने जंगल लौट आया।
कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि हमें हर हाल में अपनी शक्ति और अधिकारों को पहचाननी चाहिए और रक्षा करनी चाहिए। आलस की वजह से अगर हम अपना कर्तव्य छोड देंगे, तो भविष्य में इसका परिणाम भी भुगतना भी पड़ सकता है।
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