एक बार की बात है सीतापुर नामक एक गांव में एक चालाक नाई रहता था। उसकी एक दुकान थी जिसमें वह अकेले काम करता। उसका काफी लोगो से दोस्ती हो चूकी थी। नाई का व्यवहार गांव के लोगो को काफी पसंद आती।
चालाक नाई की कहानी
एक दिन नाई की दुकान पर एक ग्राहक पहुंचा। वह बड़ी चिंतित दिख रहा था। नाई ने उससे पूछा क्या हुआ भैया आप इतने दुखी और चिंतित क्यों हो। ग्राहक ने दुखी आवाज में कहा मेरे पर काफी कम समय है और मेरे मुझे कुछ जरूरी काम करना है। लेकिन मेरा बाल और दाढ़ी काटने का यह दिन भी तय किया गया है।
नाई ने ग्राहक की मदद करने की बात कही और उसे अगले दिन अपनी दुकान में आने के लिए कहा। ग्राहक प्रसन्न हुआ और नाई के कहने पर वह अगले दिन उसके दुकान पर पहुंचा। नाई ने ग्राहक की दाढ़ी बनानी शुरु की। इसके साथ ही उसने ग्राहक से कुछ सवाल भी पूछने लगा।
ग्राहक बिना दाढ़ी कटवाएं चला गया
उसने ग्राहक को कुछ सवाल पूछने शुरू किए। वह पूछता रहा क्या आपको ऐसा काम नहीं करना चाहिए? क्या आप अपनी दाढ़ी काटवाने के बजाय समय पर खुद कर नहीं सकते? आपको ऐसा क्यों करवाना है?
ग्राहक परेशान हो गया और नाई के पास से बिना दाढ़ी कटवाए वहां से चला गया। नाई ने चालाकी से ग्राहक को समझाने की कोशिश किया कि वह अपने समय का मूल्य नहीं समझता है।
कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि चालाकी और मायाजाल से अच्छा होता है कि हम समझाने की कोशिश करें और दूसरों की मदद करें। अकेले अपने लाभ के लिए किसी को धोखा देने की बजाय, हमें सहानुभूति और उनकी समस्या को समझने की कोशिश करनी चाहिए।
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