आज हम आपको एक चालाक बंदर की कहानी बताने वाले हैं। ये कहानियां आप अपने बचपन में अपने नाना- नानी, दादा- दादी या घर के बड़े बुजुर्गों से सुनी होगी। इन कहानियों से बच्चों के बौद्धिक तथा मानसिक विकास करने में लाभ मिलेगा। इसके साथ ही साथ बच्चों को अच्छी बातें सीखने को मिलेगी, जिससे की वे अपने जीवन में सफलता पूर्वक आगे बढ़ सकेंगे।
अगर याद हो, तो हमारे बुजुर्गों ने हमे नैतिकता का पाठ नैतिक कहानी के माध्यम से सिखाया था। अब सवाल यह उठता है कि वो नैतिक कहानियां आज भी महत्व रखती हैं। अगर आपको याद हो, तो हमारे बड़े-बुजुर्गों ने हमे बचपन में नैतिकता का पाठ नैतिक कहानी के माध्यम से सिखाया था और वो नैतिक कहानियां वर्तमान समय में भी महत्व रखती हैं।
इसलिए में हमने नैतिक कहानियों की एक सूची तैयार की है, जो आपके बच्चों को ज्ञानवर्धक सीख देने में मददगार साबित होगी और अच्छे मार्गदर्शन भी प्राप्त होगा। नैतिक कहानियां हमारी संस्कृति का अनिवार्य भाग है। इन कहानियां बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ेगी और सही गलत की परख से रूबरू होंगे।
बेहतरना कि जंगल में एक खतरनाक झील थी, वहां दिन में कोई घटना नहीं घटती, मगर शाम ढलते ही वह झील एक खूनी झील बन जाती। इस दौरान जो भी जानवर पानी पीने उस झील पर आ जाता वह जिंदा वापस नहीं जाता। कहा जाता की आज तक किसी को उसका पता नही चला था। यही कारण था कि जंगल के सभी जानवरों ने उस झील को खून झील कह कर बुलाने लगे थे।
यहां तक कि जंगल के राजा शेर ने भी उस झील को खूनी झील घोषित कर दिया था। जिसके बाद जंगल का कोई भी जानवर शाम को उस झील के समीप जाने की हिम्मत नहीं करता था। कुछ दिनों बाद उस जंगल में एक बंदर आ जाता है और रास्ते में उसका सामना एक छोटे खरगोश से होती है। जिसके बाद खरगोश ने कहा कि बंदर भाई कौन हो तुम इस जंगल में मैंने तुम्हें कभी नहीं देखा।
बंदर ने कहा खरगोश भाई आज तक मैं शहर में इंसानों के बीच चिड़ियाघर में रहा करता था, बहुत ही मुश्किल से वहां से आजाद होकर इस जंगल में आया हूं, क्या इस जंगल में मेरे रहने के लिए कहीं जगह है?
जिस पर खरगोश ने बोला हां बंदर भाई यह हम जैसे जानवरों के रहने का घर है, इंसानों का चिड़ियाघर नहीं, आओ मैं तुम्हें पूरे जंगल की सैर कराता हूं, जंगल के सारी जगहो के बारे में बताता हूं, जो जगह पसंद आए वही रह लेना। जिसके बाद छोटे से खरगोश ने बंदर को जंगल के हर जगह को दिखाता है। जिराफ, हाथी, हिरण जैसे कई जानवरों के रहने की जगह ही नहीं बल्कि वहां के जंगल के राजा शेर की भी गुफा दिखता है पर खूनी झील के बारे में न उसे बताता है और न ही उसे दिखाने ले जाता है।
टहलते हुए बंदर पहुंचा खूनी झील, मगरमच्छ को देख भागा
बंदर जंगल में ही एक बड़े से बरगद के पेड़ को अपने रहने के लिए पसंद कर लेता है और आराम से रहने लगता है। वहां बंदर को रहते हुए दो से तीन ही होता है की वह चौथे दिन शाम में घूमते घूमते उस खूनी झील के समीप पहुंच जाता है। झील को देख बंदर कहता है की इतना सुंदर झील है मन तो कर रहा है की इस ठंडे ठंडे पानी में कूदकर नहा लूं पर सर्दी बुखार होने का खतरा है पर कोई बात नहीं ठंडा ठंडा पानी पीकर अपनी प्यास बुझा लेता हूं।
जिसके बाद बंदर पानी पीने लगता है, थोड़ी देर में एक मगरमच्छ उसकी और आने लगता है, जिसे देख बंदर घबराकर वहां से भाग निकलता है। भागते भागते रास्ते में उसे एक हिरण मिलती है और उसे पूछती है कि क्या हुआ बंदर भाई तुम इस तरह घबराए हुई कहां से आ रहे हो।
जिस पर बंदर कहता है झील के किनारे से आ रहा हूं वहां पानी पीने गया था। जिस पर हिरण बोली तुम झील के पास से जिंदा वापस आ गए। तुम्हें पता नहीं वह इस जंगल का खूनी झील है शाम होने के बाद कोई भी वहां जाता है तो वहां से जिंदा लौट कर नहीं आता है उसकी लास का भी पता नहीं चलता कहां गायब हो जाता है। इसलिए शाम होते ही कोई भी उस खूनी झील की तरफ नहीं जाता और यह हमारे से शेर राजा का आदेश भी है। जिस पर बंदर ने कहा कमाल है मुझे तो पता ही नहीं। कुछ देर में वहां खरगोश भी आ पहुंचता है।
हिरण करती है खरगोश भाई आपकी वजह से बंदर भाई की जान जाते जाते बची। खरगोश ने कहा मेरी वजह से। हिरण ने कहा हां, आपने बंदर भाई को पूरा जंगल घुमाया हर जगह के बारे में बताया पर इस खूनी झील के बारे में क्यों नहीं बताया। खरगोश ने कहा भूल गया भाई मैंने सोचा कि बंदर भाई तो पेड़ पर रहते हैं उन्हें झील से क्या काम।
शेर की दरबार में बंदर ने झील में मगरमच्छ होने की दी जानकारी
हिरण ने कहा अरे अभी अभी खूनी झील के उस खूनी ने बंदर भाई को पकड़ने की कोशिश की बंदर भाई ने अपनी जान बचा कर वहां से भाग निकले। जिसके बाद बंदर, खरगोश और हिरण जंगल के राजा शेर के दरबार पहुंचा, वहां पहले से बहुत सारे जानवर उपस्थित है। बंदर ने दरबार में सारी बात शेर को बताता है, यह बात सुन कर किसी को उसकी बातो पर विश्वास नहीं होता है। जिस पर शेर गरजते हुए कहता है कि क्या बात कर रहे हो बंदर भाई।
बंदर ने कहा मैं सच कह रहा हूं शेर राज। दरबार में उपस्थित हाथी ने कहा कि हमने तो कभी देखा ही नहीं। जिस पर बंदर ने कहा कि क्योंकि आपलोग उस झील को खूनी झील समझकर दिन में वहां जाते हो और डर के मारे शाम में जाना बंद कर देते हो। पूरे दिन वह मगरमच्छ झील में छिपा रहता है और अंधेरा होते ही चुपचाप निकलता है और शाम के समय झील के पास आए जानवरो को खा जाता है और लोग समझते हैं कि यह झील खूनी है जबकि यह झील खूनी नहीं इसमें छुपा मगरमच्छ है।
बंदर की बात पर वहां उपस्थित जानवर को यकीन नहीं हो रहा था। हाथी ने बोला कि बंदर भाई अगर हमे पता होता कि आप इतने बड़े झूठे हो हम आपको कभी भी जंगल में रहने के लिए जगह नहीं दिखाते। बंदर ने कहा हाथी मेरे दोस्त मैं तुम सब की भलाई के लिए ही बता रहा हूं।
जिस पर गरजते हुए शेर ने कहा कि अगर तुम्हारी बात सच है तो क्या तुम उसे हमे दिखा सकते हो। बंदर ने कहा हां क्यों नहीं आज शाम ढलते ही आप सभी लोग झील के किनारे पेड़ो और पत्थरों के पीछे छिप जाना। जिसके बाद सभी जानवर शाम ढलते का इंतजार करते है और शाम होते ही खूनी झील के पास पेड़ो और पत्थरों के पीछे छिप जाते हैं।
बंदर की चालाकी से पकड़ में आया मगरमच्छ, खुनी झील की अफवाह निकली झूठी
बंदर ले झील में एक दो बड़े बड़े पत्थर फेंकता है, पानी की आवाज सुनकर मगरमच्छ चुपचाप पानी की अंदर तैरता हुआ शिकार करने वहां आता है लेकिन पेड़ के पीछे छिपे दिखाई देते हाथी को देखकर वह सावधान हो जाता है और सोचता है कि अरे यह लोग मुझे छिपकर देखने आए हैं क्या करूं, हां ये लोग तो मूर्ख है हमेशा की तरह यह देखकर पत्थर बन जाता हूं।
आपस में बात करते हुए हाथी ने कहा देखा हमने कहा था ना कि झील में एक बड़ा सा पत्थर है। शेर ने कहा हां देखो यही तो पत्थर हमें हमेशा रात में दिखाई देता है। जिस पर बंदर ने कहा वही तो यह रात में ही क्यों दिखाई देता है दिन में क्यों नहीं, कभी सोचा है। हिरण ने कहा हिरण ने कहा हां रात को चंद्रमा के कारण झील में ज्वार उठता है और पत्थर को ऊपर ला देता है दिन में ज्वार नहीं आता इसलिए दिन में पत्थर पानी में डूबा रहता है। सब की बेवकूफी भरी बातें सुनकर बंदर परेशान हो जाता है।
बंदर अपनी चालाकी से कहा कि तुम लोगों को लगता है ना ये बड़ा ही मजबूत पत्थर है अगर ये खुद बता देगा की ये मजबूत पत्थर है तो मैं मान जाऊंगा और उस पत्थर पर गुलाटी मार के आऊंगा। यह बात सुनकर मगरमच्छ के मुंह में पानी आ जाता है और उसे लगता है की आज उसे बंदर का कोमल मांस खाने को मिलेगा जिसके बाद मगरमच्छ जोरदार आवाज में कहने लगा मैं पत्थर हूं मैं मजबूत पत्थर हूं। बंदर ने सभी को बताया कि आपने सुना है कि पत्थर कभी बोलता है।
जिसके बाद सभी जानवरों को बंदर की बात समझ में आ जाती है। रात में शेर की गुफा में सभी ने एक मीटिंग बुलाई और मगरमच्छ को पकड़ने की योजना बनाई। बंदर की चालाकी से मगरमच्छ को पकड़ने के लिए रस्सी की व्यवस्था की और सभी ने बंदर के साथ उसी खूनी झील के पास पहुंच कर रस्सी के फंदे को पानी में बिछाकर मगरमच्छ को पकड़ लिया। सभी ने बंदर की चालाकी की तारीफ की और सभी खुश होकर पानी को जब चाहे इस्तेमाल करने की बात कही।
कहानी से सीख:- किसी भी जगह अफवाह सुनकर उसे छोड़ नहीं देना चाहिए बल्कि उस अफवाह की जांच पड़ताल करनी चाहिए।
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