कौआ और कोयल (Crow and Cuckoo Story)

kauwa aur koyal

एक बार की बात है चंदननगर गांव की सीमा पर एक विशाल बरगद का पेड़ था। जिसपर एक कौआ और एक कोयल अपने अपने घोंसले बनाकर रहते थे। एक दिन तेज आंधी चलने लगी। अचानक बारिश भी होने लगी। देखते ही देखते गांव के पास जंगल तबाह हो गया। जो भी था जंगल में सब कुछ बर्बाद हो गया।

अगले दिन कौआ और कोयल भोजन के लिए निकले पर उसे कुछ भी नहीं मिला। तभी कोयल ने कौआ से कहा कि इस आंधी और तूफान से सब चीज बर्बाद हो गया तो हम दोनो अपनी भूख कैसे मिटाएंगे। कोयल ने कौआ से कहा कि क्यों न जब मैं अंडा दूं तो तुम उसे खाकर अपनी भूख मिटाना और जब तुम अंडा दोगे तो उसे खाकर मैं अपनी भूख मिटा लूंगी।

कौआ और कोयल: कोयल ने कौआ के अंडे को खाकर मिटाई भूख और रखी ये शर्त

कौआ ने कोयल की बात पर सहमती प्रदान की। एक दिन कौआ ने सबसे पहले अंडा दिया और कोयल ने उसे खाकर अपनी भूख मिटा ली। फिर कोयल ने अंडा दिया और कौआ जैसे ही कोयल के अंडे खाने लगा तो कोयल ने उसे रोक दिया और कहा तुम्हारी चोंच साफ नहीं है।

तुम इसे धोकर आओ और फिर खाओ। कौआ तुरंत नदी के किनारे गया। उसने नदी से कहा तुम मुझे पानी दो मैं अपनी चोंच धोकर कोयल के अंडे खाऊँगा। जिसपर नदी बोली ठीक है पर तुम पानी के लिए एक बर्तन लेकर आओ।

कौआ अब तुरंत एक कुम्हार के पास पहुंचा। उसने कुम्हार से कहते हुए कहा कि मुझे आप एक घड़ा दे दो। उसमें मैं पानी भर कर अपनी चोंच धोऊंगा और फिर कोयल का अंडा खाऊंगा। कौआ की बात सुनकर कुम्हार ने कहा कि तुम मुझे मिट्टी लाकर दोगे तो मैं उससे बर्तन बनाकर तुम्हे दे दूंगा।

यह सुनकर कौआ घरती माता से मिट्टी मांगने लगा। माता मुझे मिट्टी दे दो उससे मैं बर्तन बनवाऊंगा और उस बर्तन में पानी भरकर अपनी चोंच साफ करूंगा तथा फिर जाकर कोयल के अंडे को खाकर अपनी भूख मिटाऊंगा।

कोयल ने चतुराई से अपने अंडे को कौआ से बचाया

धरती माता बोली मैं तो तुम्हे मिट्टी दूंगी पर तुम्हें खुरपी लानी होगी। उसी से खोदकर मिट्टी निकलेगी ना। जिसके बाद कौआ उड़ते हुए लोहार के पास पहुँचा। उसने लोहार से खुरपी मांगी। कौआ बोला हे लोहार भाई मुझे आप खुरपी बनाकर दे दो। उससे मैं मिट्टी निकालकर कुम्हार को दूंगा और उनसे बर्तन लूंगा।

बर्तन में पानी भरूंगा उस पानी से अपनी चोंच धोकर कोयल का अंडा खाऊंगा। यह बात सुनकर लोहार ने गर्म गर्म खुरपी कौआ को दे दिया। जैसे ही कौआ ने उसे पकड़ा उसकी चोंच जल गई और कौआ तड़पकर मर गया। इस तरह चतुराई से कोयल ने अपने अंडे को कौआ से बचा लिया।

कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि दूसरों पर आँख बंद करके भरोसा नहीं करनी चाहिए। इससे नुकसान खुद का ही होता है।

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