जहरीले फल की कहानी । Story of Poisonous Fruit

jahrile fal ki kahani

काफी पुरानी बात है विलासपुर नाम का एक गांव था। गांव के समीप से एक मुख्य सड़क गुजरा हुआ था। सड़क किनारे ही एक विशाल पेड़ था, जिसपर बड़े ही मनमोहक फल लटक रहे थे। उसे देखते ही खाने को जी करने लगता। फल देखने में ऐसे लगते थे कि मानो कितने मीठे हो। पर वह काफी जहरीला था।

उसे जो खाता वह कुछ समय बाद मर जाता। इसलिए गांव वाले उस पेड़ के समीप भी नहीं जाते थे। उस गांव में तीन-चार ठग भी रहते थे। पेड़ उनके लिए वरदान साबित हो रहा था । वेलोग एक पत्थर के पीछे छिपकर पेड़ की निगरानी करते। जैसे ही मार्ग से गुजरने वाला कोई राहगीर उस पेड़ का फल खाता, वे लोग उसका पीछा करने लगते। कुछ देर बाद जब राहगीर बेहोश होकर गिर जाता वैसे ही चोर उसके पर रखे सारे समान लेकर भाग जाते।

जहरीले फल की कहानी

एक दिन उसी मार्ग से एक बड़े चतुर व्यापारी की बैलगाड़ियों का काफिला गुजर रहा था। गाड़ियां माल से लदी थी। कुल मिलाकर बीस- तीस गाड़ियों का काफिला लग रहा था। पहली गाड़ी में बैठे चालक और कर्मचारी ने उस फलों से लदे पेड़ को देखा, तो काफी प्रसन्न हुए। कितने सुंदर रसीले फल है यह कहकर कर्मचारी ने एक फल तोड़कर चखा।

उसके मुंह से आह निकल पड़ी और कहा कितने स्वादिश्ट और मीठे फल है। रास्ते में खाने के लिए उन्होंने कुछ फल तोड़कर अपनी बैलगाड़ी पर रख दिए। उसके बाद सभी गाड़ी वालों ने भी ऐसा ही किया । काफीले के बीच में वह बैलगाड़ी भी थी, जिसमें स्वयं व्यापारी सफर कर रहा था । उसका अंगरक्षक भी घोड़े पर सवार बैलगाड़ी के साथ साथ चल रहा था ।

व्यापारी की सुझबुझ से बची कर्मचारियों की जाने

व्यापारी ने अपने से आगे चल रहे बैलगाड़ी वालों को दूर से पेड़ से फल तोड़ते देख चिल्लाने लगे और कहा रूको ये फल मत खाओ यह जहरीले है। उसने अपने अगरक्षक को कहा कि तुम दौड़कर आगे जाओ और देखो कि किस किस ने इस पेड़ के फल खाए हैं।

जिसने भी ये फल खाए है उसे तुरंत बोलो की वह अपनी मुंह में उंगुलियों को डालकर उल्टी करे और बैलगाड़ी पर रखे फल को फेंक देने का आदेष दो। अंगरक्षक दौड़ते हुए आगे गया और सबको फल न खाने और तोड़े गए फल फेंकने की बात कही। कुछ बैलगाड़ी वालों ने फल खा रखे थे जिसे तुरंत उल्टी करने को कहा।

आगे आगे चल रहे बैलगाड़ी वालों ने पहले ही फल को खा लिया था। उसकी तबीयत खराब होनी शुरू हो गई थी। उसे चक्कर आने लगे थे और पेट में भी काफी दर्द हो रही थी। व्यापारी की सोच बुझ से फल खाए लोगो से उल्टियां कराने पर उसकी जान बच गई, सिर्फ वे लोग मूर्छित हो गए थे। ये सब देखकर चारो ठग बड़े ही निराष होने लगे, उसने हाथ से समान चोरी करने का एक सुनहरा अवसर मिलने से रह गया।

भविष्य में कोई धोखा न खाएं, इसलिए पेड़ को कटवा दिया गया

बैलगाड़ी पर सवार चालक व कर्मचारी ने व्यापारी से पूछा की हुजुर जब आपको पहले से पता था कि इस पेड़ का फल जहरीला है तो आपने हमलोगो को पहले क्यों नहीं बताया। व्यापारी ने कहा कि मुझे पहले पता नहीं था। मैं भी इस मार्ग से पहले बार गुजर रहा हूं।

मैंने सिर्फ देखा कि यह पेड़ के फल काफी मीठे, रसीले और सुंदर दिख रहे है। जबकि गांव भी निकट में है। पहले तो गांव वाले ही इस फल को पकने से पहले ही खा जाते। मैंने सोचा कि इतने सुंदर फल पेड़ पर लदे है तो कोई न कोई कारण होगा जो इसे कोई नहीं तोड़ता।

व्यापारी ने कहा कि मैंने अपने बुद्धि लगाकर सोचा कि जरूर यह फल जहरीले होंगे इसलिए तो यह पेड़ पर इतनी संख्या में लदे है। आगे भविश्य में ऐसी घटना न हो इसलिए व्यापारी ने उस पेड़ को अपने आदमियों से कहकर कटवा दिया।

कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती। जिसे कोई हाथ नहीं लगा रहा है समझो कि उसमें कुछ कुछ दोष जरूर है।

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