एक समय की बात है, एक जंगल में एक कछुआ और एक लोमड़ी रहा करती थी। दोनों आपस में अच्छे दोस्त थे। कछुआ एक तालाब में रहता था और लोमड़ी तालाब के समीप एक मांद में रहती थी। दोनों खाली समय में एक दूसरे के पास जाकर बैठते थे और अपना दुख सुख सुनाते थे। दोनों जंगल में साथ घूमा करते थे। एक साथ खाते पीते और मस्ती किया करते थे।
कछुआ और लोमड़ी की दोस्ती
एक दिन लोमड़ी और कछुआ तालाब के किनारे बैठे हुए गपशप कर रहे थे, तभी अचानक वहां एक तेंदुआ आ पहुंचा। दोनों तेंदुए को देखकर अचंभित रह गए। दोनों अपनी अपनी जान बचाने के लिए घर की तरफ भागे। लोमड़ी सरपट दौड़कर अपनी मांद में छप गई और कछुआ अपनी धीमी चाल चलते हुए तालाब की तरफ भाग रहा था।
लेकिन उसके तालाब तक पहुंचने से पहले ही तेंदुए ने उसे पकड़ लिया। तेंदुआ ने कछुआ के खोल पर प्रहार किया परंतु कछुआ के खोल पर तेंदुए के हमले का कोई असर नहीं हुआ।
लोमड़ी की चालाकी से बच गई कछुए की जान
समीप में ही लोमड़ी अपनी मांद से सब कुछ देख रही थी। वह किसी भी तरह से अपने मित्र की जान बचाना चाहती थी। लोमड़ी के चालाक दिमाग में एक योजना सूझी। वह दूर से ही तेंदुए से बोली, तेंदुआ भाई इस कछुए का खोल बहुत ही मजबूत है, यह इस तरह नहीं टूटेगा। आप इसे तालाब के पानी में डाल दो, पानी में जब इसका खोल गल जाएगा, तब आप इसे आराम से खा सकते हो।
तेंदुए को लोमड़ी की बात अच्छी लगी और उसने कछुए को तालाब के पानी में डाल दिया। अब क्या था कछुआ जो चाहता था वह उसे मिल गया। कछुआ धीरे से तालाब के अंदर चला गया और उसकी जान बच गई। इस प्रकार लोमड़ी ने चालाकी से अपने दोस्त की मदद की और उसकी जान बचा ली।
कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एक समझदार मित्र की सहायता से जीवन के बड़ी से बड़ी मुसीबत को दूर किया जा सकता है।
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