सालो पुरानी कहानी है। घने जंगल में एक पीपल का पेड़ था। पेड़ पर कौवे का एक जोड़ा रहता था। दोनों हंसी खुशी उस पेड़ पर घोंसला बनाकर जीवन व्यतीत कर रहे थे। कुछ दिनो के बाद मादा कौआ ने अंडे दिए। उनकी इस खुशी भरी जिंदगी को ग्रहण लगने वाली थी।
एक दिन कौआ के घोंसले को एक सांप की नजर पड़ गई। उसी पीपल पेड़ के नीचे सांप अपना बिल बनाकर रहने लगा। जब भी कौवों का जोड़ा भोजन की तलाश में निकलती, सांप पेड़ पर चढ़ कर उसके अंडो को खा जाता था।
शाम ढ़लते ही कौआ अपने घोंसले में पहुंचे तो देखा कि उसके घोंसले में अंडे नहीं है। उन्हें पता नहीं चल पा रहा था कि अंडे कौन ले जाता है। इसी तरह समय बीतता गया और सांप कौआ के अंडे को खाता गया।
कौवा और सांप की कहानी : सांप के कारण कौआ ने बनाया अपना नया घोंसला
एक दिन कौआ का जोड़ा जंगल की ओर भोजन की तालष में निकले और षाम ढ़लने से पहले ही लौट आया। जैसे ही कौआ पेड़ के समीप पहुंचे तो उन्होंने देखा की उनके अंडों को एक सांप खा रहा था। दोनो कौआ बहुत ही दुखी हुआ। जिसके बाद उसने पेड़ के सबसे उंची टहनी पर अपना घोसला बना लिया।
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सांप को पता चल गया था कि कौआ पहले स्थान से चला गया है। कौआ अपने अंडे को सुरक्षित रखने के लिए दाना चुग कर जल्दी ही अपने घोंसले में लौट आते थे। कुछ दिनो बाद कौवा के अंडों में से बच्चे निकल आए और वह बड़े होने लगे। सांप को एक दिन कौआ के नए घोंसले के बारे में पता चल गया और वह कौवों के जाने का इंतजार करने लगा।
जैसे ही कौवे घोंसला से जंगल की ओर निकले सांप दोबारे से उनके घोंसला जाने लगा। लेकिन तब तक किसी कारणवश कौआ का जोड़ा घोंसले लौट आए। उसने दूर से ही सांप को घोंसले की ओर जाते देख लिया और जल्दी से वहां पहुंच कर अपने बच्चों को पेड़ की खोह में छिपा दिया।
कौआ ने चालाकी से सांप को सिखाया सबक
सांप घोंसले तक पहुंच गया लेकिन उसे घोंसला में बच्चा नहीं मिला। सांप वापस अपने बिल में चला गया और मौके का इंतजार करने लगा। इसी बीच कौआ ने सांप से पीछा छुड़ाने के लिए एक योजना बनाई। एक दिन कौआ जंगल के बाहर स्थित एक राजा का सुंदर महल था।
महल में बने तालाब में राजकुमारी अपनी सखियों के साथ स्नान कर रही थी। राजकुमारी अपनी जेवर को खोलकर पानी के बाहर रख दिया था। कौआ ने मोतियों का हार को लेकर उड़ गया। इसे देख सभी ने हल्ला करना षुरू कर दिया। पहरेदार हार को पाने के लिए कौआ का पीछा करने लगे।
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कौआ जंगल पहुंचकर मेाती के हार को पेड़ के नीचे बने सांप के बिल में डाल दिया। पीछा कर रहे सैनिको ने कौआ के सभी कारनामे देख लिए। जैसे ही सैनिकों ने हार निकालने के लिए बिल में हाथ डाला तो सांप फुंकारता हुआ बाहर निकल आया।
सांप को देखकर सैनिकों ने तलवार से उस पर हमला कर दिया, जिससे सांप घायल हो गया और अपनी जान बचाकर वहां से भाग गया। सांप सब कुछ समय गया था कि यह तरकीब कौआ का ही है। सैनिक भी हार को लेकर महल लौट गए। सांप के वहां से जाने के बाद कौआ अपने परिवार के साथ खुशी खुशी रहने लगा।
कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि हमे कभी भी निर्बल का फायदा नहीं उठाना चाहिए और मुसीबत आने पर समझदारी से काम लेना चाहिए।
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