एक समय की बात है मंछलानगर गांव में मदन नाम का एक लकड़हारा रहता था। वह अपना भरण पोषण के लिए गाँव के समीप एक जंगल में प्रत्येक दिन लकड़ियाँ चुनता और उन्हें बेचकर कुछ पैसे कमा लेता। किसी तरह वह अपना गुजारा करता। कुछ दिनों बाद मदन का विवाह हो गया।
उसकी पत्नी बड़ी ही खर्चीली थी। इसलिए अब उतनी लकड़ियों को बेचकर घर चलाना मुश्किल हो रहा था। इसके बाद भी मदन की पत्नी अपने वस्त्र और अन्य चीजो की खरीदी के लिए उनसे पैसे की मांग करती, पैसे नहीं मिलने पर वह गुस्सा हो जाती।
लालची लकड़हारे : लालच में आकर मदन शुरू किया पेड़ काटना
मदन अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करता था उसकी नाराज़गी वो बर्दाश्त नहीं कर पाता था। मदन ने सोचा अब वह अधिक लकड़ियां इकट्ठा करके लाएगा और बेचकर अधिक पैसो कमाएगा। पत्नी की इच्छा पूरी करने के लिए अगले दिन सुबह में मदन घने जंगल में चला गया और बहुत सारी लकड़ियाँ चुना तथा बाजार में बेंचकर अधिक पैसे कमाएं।
वह घर आया और सारे पैसे अपनी पत्नी को दे दिया। वह रोज ऐसा ही करता। धीरे धीरे उसके मन में लालच पैदा होने लगी। मदन धीरे-धीरे पेड़ को भी काटना शुरू कर दिया।
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पेड़ के काटने से ज्यादा लकड़िया जुगाड़ हो जाती और उसे बाजार में अच्छी दाम भी मिल जाता। लकड़हारा हर सप्ताह एक पेड़ काटता और उसे बेचकर जो पैसे मिलते उसे अपनी पत्नी के शौक पूरे करता।
लालची लकड़हारे : पेड़ की टहनी ने लकड़हारा को चंगुल में लिया
मदन अब अपने पैसो को जुआ में लगाना शुरु कर दिया। जुआ खेलने की लत ऐसी लगी कि वह एक मोटी रक़म हार गया। हारे गए रकम को चुकता करने के लिए मदन दो तीन मोटे मोटे पेड़ काटने का निर्णय लिया। जैसे ही मदन जंगल में जाकर एक बड़े से पेड़ पर अपनी कुल्हाड़ी से वार करने की कोशिश की वैसे ही पेड़ की एक टहनी से उसपर हमला कर दिया।
इसे देख वह चौंक गया। कुछ देर बाद उसको पेड़ की एक टहनी ने लपेट लिया। वह कुछ भी समझ नहीं पाया। तभी पेड़ से आवाज़ आई। मूर्ख तुम अपने लालच के कारण मुझे काट रहा है। तुझे पता नहीं है कि पेड़ कितने कीमती होते हैं। हमारे अंदर भी जान बसती है और हम तुम इंसानों को जीने के लिए हवा, छाव और भूख को शांत करते है।
पेड़ ने मदन से कहा कि अब यही कुल्हाड़ी मैं तेरे ऊपर चलाऊँगा। पेड़ की टहनी ने कुल्हाड़ी से मदन पर वार करने ही वाला था कि वह गिड़गिड़ाने लगा। उसने माफ़ी माँगते हुए कहा मुझसे गलती हो गई।
आप मुझे मार दोगे तो मेरी पत्नी कैसे जीवन व्यतीत करेगी। मैं आज के बाद पेड़ नहीं काटूंगा आज से प्रण लेता हूं। बात को सुनकर पेड़ को उसके उपर दया आ गई। उसने उसे छोड़ दिया और वह अपने घर चला गया।
कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि हमें लालच में आकर पर्यावरण के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। पेड़ से हमें ऑक्सीजन मिलती है जो हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इन्हें काटकर हम खुद अपने जीवन में संकट को न्योता दे रहे है।
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