मूर्ख बगुला और केकड़ा ( The Story of Idiot Heron and Crab)

bagula aur kekda

एक बार की बात है। एक जंगल में एक इमली का पेड़ था। उस पेड़ पर एक बगुला रहता था। पेड़ पर उसने एक घोंसला बनाया था। जिसमें उसने कुछ अंडे दिए थे। कुछ ही दिन पहले अंडे से बच्चे बाहर हीं निकले थे कि उसपर एक काल मंडराने लगा था। उसी पेड़ के नीचे एक एक जहरीला सांप भी रहता था।

सांप बहुत दुष्ट प्रवृति का था। जब उसे भूख लगती तब व पेड़ पर चढ़कर बगुले के छोटे बच्चे को खा जाया करता था। इसके कारण बगुला काफी दुखी और परेषान रहा करता था। अपने बच्चे को मरता देख वह रोया भी करता था। बगुला अपने आप को असहाय महसूस कर रहा था वह जहरीले सांप का मुकाबला नहीं कर सकता था।

मूर्ख बगुला और केकड़ा : बगुला ने केकड़े को सुनाई अपनी आपबीती

सांप की हरकतों से परेशान बगुला नदी किनारे बैठकर रोने लगा। बगुले को रोता देख नदी से एक केकड़ा बाहर आया और कहा अरे बगुला भैया क्या परेषानी है तुम क्यों रो रहे हो। केकड़े की बात सुन बगुला बोला क्या कहूं मैं तो उस सांप से परेशान हूं जो बार बार मेरे बच्चे को मार कर खा जाता है।

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पेड़ पर घोंसला कहीं भी बना लूं पर सांप उपर चढ़ कर मेरे बच्चे को खा ही जाता है। केकड़ा भाई तुम ही कोई उपाय बताओ। केकड़े ने सोचा बगुला भी तो अपना पेट भरने के लिए उसके परिवार वालों को खा जाता है। क्यों न ऐसा कोई उपाय किया जाए कि सांप के साथ साथ बगुले का भी खेल खत्म हो जाए। तभी उसे एक उपाय सोची।

बगुला को महंगा पड़ा केकड़े का सुझाव

उसने बगुले से कहा कि एक काम करो तुम्हारे पेड़ से कुछ ही दूरी पर एक नेवले का बिल है। तुम सांप के बिल से लेकर नेवले के बिल तक मांस के टुकड़े बिछा दो। नेवला जब मांस खाते हुए सांप के बिल तक आएगा तो वह सांप को भी मार डालेगा। बगुले को यह उपाय अच्छी लगी।

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उसने ठीक वैसा ही किया जैसा केकड़े उसे बताया पर इसका परिणाम उसे भी भुगतना पड़ा। मांस के टुकड़े खाते-खाते जब नेवला पेड़ के पास आया तो उसने सांप को तो मार ही दिया। साथ ही साथ बगुले को भी अपना शिकार बना लिया।

कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि किसी की भी बात पर आंख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए। उसके परिणाम और दुष्परिणाम के बारे में भी एक बार सोच लेना चाहिए।

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