काफी पुरानी बात है। एक छोटा सा गांव था। जो चारो ओर पहाड़ियो से घिरा था। गांव में करीब सौ दो सो परिवार रहा करते थे। उसी गांव में एक परोपकारी दादी रहा करती थी। दादी का पार्वती नाम था। दादी गांव में सबसे बुजुर्ग थी, गांव के लोग उसे दादी माता कहकर बुलाते थे। दादी के दिल में हमेषा परोपकार और दयालुता की भावना रहती थी। वह हमेशा अपने समय और संसाधनों का उपयोग करके गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करती थी।
परोपकारी दादी : दादी ने भूखे लड़के को खिलाया खाना
एक दिन गांव का ही एक गरीब लड़का जिसका नाम मदन था वह पार्वती दादी के पास पहुंचा। मदन काफी भूखा था। उसकी अवस्था बहुत ही दयनीय थी। दादी ने उसे खाने को खाना दिया। मदन खाना खाकर बहुत ही खुश हो गया। फिर वह जाने लगा।
दादी ने उससे कहा बेटा तुम कुछ देर के लिए आराम कर लो और दादी ने उसे आराम करने के लिए घर में जगह दी। मदन पार्वती दादी के साथ बिताए गए कुछ समय से उसे यह पता चल गया कि वह बहुत ही दयालु है। दादी के साथ जरूरतमंदो व गरीबो की मदद करने के लिए उसके मन में इच्छा जागी।
मदन ने भी जरूरतमंदो की सहायता के लिए जताई इच्छा
कुछ देर बाद दादी से कहा कि दादी मैं भी आपके साथ गरीबो की सेवा करूंगा। जिस प्रकार आप जरूरतमंदो की सेवा करते हो ना उसी प्रकार मैं भी जरूरतमंदो का सुख दुख बाटूंगा और उसे लाभ दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा। मदन की बातो को सुनकर दादी काफी प्रसन्न हुई।
उसने मदन के सर पर हाथ रख उसे आशीर्वाद दिया और कहा मदन जरूरमंदो, असहायो और गरीबो की सेवा करना बड़ा पुण्य का काम है। कुछ समय बाद मदन वहां से चला गया और गरीबो की सेवा करने के कार्य में जुट गया।
कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दुसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। परोपकार और दयालुता हमारे समाज को मजबूत बनाते हैं। सहायता करने से हमे यह सिखने को मिलता है कि हम छोटी सी पहल कर हम दूसरों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।
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