एक समय की बात है भरतपुर नामक एक गांव में एक छोटी व सुंदर चिड़िया रहती थी। चिड़िया हर वक्त सोने के जेवरात पहने हुए रहती थी। वह प्रत्येक दिन सोने की तलाष में दूर निकल जाती और जो भी सोने के जेवरात उन्हें मिलते वह अपने साथ ले आती। हर रोज की तरह वह आज भी घर से निकली।
सोने की चिड़िया
कुछ दूर जाने पर उसे कुछ चमकता हुआ कुछ दिखाई पड़ा। वह तुरंत उस स्थान पर पहुंची तो देखा कि वहां सोने के कई आभूशण पड़े थे। चिड़िया ने सोने के कुछ आभूषण अपने पैरों में रखकर घर लौट आई। वह बहुत खुश थी क्योंकि अब उसके पास सोने के कई सारे जेवर थे।
चिड़िया रोज की तरह घर से निकलती और सोने की खोज करती जो भी सोने के जेवरात उसे मिलते वह अपने साथ लेकर घर आ जाती। धीरे धीरे चिड़िया का घमंड बढ़ने लगा, उनके व्यवहार में भी परिवर्तन आने लगा। वे अपने दोस्तो से अच्छी तरह से बात नहीं करने लगी।
आदमी की सीख से चिड़िया ने स्वीकारी अपनी गलती
एक दिन उस गांव में एक आदमी आया। वह चिड़िया के आभूषण को देख कर अचंभित रह गया। उसके मन में कई तरह के प्रश्न उठने लगे। वह चिड़िया के पास जाकर पूछा कि तुम्हारे पास इनते सारे सोने के आभूशण कहां से आए।
चिड़िया ने जवाब दिया मैने इसे इंसानो के बस्तयिों से लेकर आई हूं, जहां पर लोग अपने सोने के जेवरात रखते थे। आदमी ने कहा कि ये तो चोरी हुई न। तुम किसी के सामान को बिना बताए कैसे ले सकती हो।
तुम तो अपराधी साबित हो सकती हो। ये चोरी तुम्हारी भविष्य को खराब कर सकती है। चिड़िया ने अपनी गलती स्वीकार कर ली और जहां जहां से सोने के जेवरात उठाकर लाए थे वहां जाकर उसे रख दिए। जिसके बाद वह खुश और संतुष्ट हो गई।
कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि हमें अपने अदर्शों, गुणों, और आदतों की मूल्य को समझना चाहिए। हमे जीवन में कभी भी छल कपट नहीं करनी चाहिए। धोखे से पाई हुई चीज हमे कभी भी सुख नही देती।
और पढ़ें :