एक बार की बात है। एक गांव में सुरेश नाम का एक लड़का रहता था। वह काफी ईमानदार और मेहनती था। वे पढ़ने में काफी तेज और होनहार था। वह पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बनना चाहता था। सुरेश के पिता एक किसान थे।
वे अपने खेतो में इतना व्यस्त रहते थे कि उसे बहुत कम समय ही मिलता था अपने बच्चो के साथ समय बीताने के लिए। किसान को यह पता था कि विद्या ही उनके बच्चो के भविष्य को बेहतर बना सकता है, जिससे उनके बच्चो की जिंदगी आसान हो सकती है।
विद्या की महत्ता : मेहनत और लग्न से सुरेश ने पायी नौकरी
सुरेश अपनी पढ़ाई लिखाई के लिए कठिनाईयों का सामना करता था। लेकिन वह कभी हार नहीं मानता था। वह भी अपने पिता के साथ खेती में हाथ बटाया करता था। वह स्कूल भी जाता था और जब स्कूल के घर वापस आता तो अपने पिता के साथ खेतो में मेहनत किया करता था। सुरेश रात को भी अपनी पढ़ाई करता था। उसकी मेहनत और लगन से पढ़ाई की और अच्छे अंक प्राप्त किए। उसने स्कूल में टॉप किया।
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जिससे गांव में उसका नाम रौशन हुआ। सुरेश एक अच्छे कॉलेज में प्रवेश प्राप्त किया। अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के बाद उसने एक बड़ी कंपनी में काम किया और अच्छा वेतन कमाया। सुरेश ने अपने पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठा ली। उसके पिता और गांव वाले काफी खुश थे। सुरेश ने विद्या के बल पर सारे मुकाम हासिल कर लिया था। वह अपने गांव को समृद्ध बनाने में मदद भी करता था।
कहानी से सीख (Moral of The Story) :- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि विद्या की महत्ता सर्वोपरी है। विद्या ही एक ऐसी चीज है जो हमारे सपनो को पूरा करने में मदद करती है और हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर ले जाती है। हमें विद्या को महत्व देना चाहिए और अपने सपनो को पूरा करने के लिए जी जान लगाकर मेहतनत करनी चाहिए।
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